अभी कुछ ही दिन हुये, मैं एक स्टेशनरी की दुकान
पर कुछ दस्तावेजों की फोटोकॉपी करवा रही थी तभी एक भाई-बहन वहां आये. भाई की उम्र
कुछ 7-8 साल रही होगी और बहन उससे 1-2 साल बड़ी. उन्होंने कुछ कापियां लीं और जाने ही वाले थे की
भाई की नज़र एक कलरिंग बुक पर पड़ी. वो उसे देखने लगा और उसे वो इतनी पसंद आई कि वो
उसे लेना चाहता था. जब उसने दाम पूछा तो उसे 20 रूपये बताया गया. उस बच्चे ने अपनी जेब टटोली तो उसे 10 रूपये ही मिले. वो हसरत भरी निगाह से उस कलरिंग बुक को देख
रहा था पर उसे खरीदने के लिए उसके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे. बहन उससे उस किताब
को छोड़ कर घर चलने की जिद कर रही थी पर भाई को वो किताब इतनी अच्छी लग गयी थी कि
वो वहां से उसे लिए बिना जाना ही नहीं चाहता था. मुझसे उसकी हसरत और बेचारगी देखी
नहीं गयी. मैंने उसे वो कलरिंग बुक ले जाने को कहा इस कथन के साथ कि पैसे मैं दे
दूँगी. पहले तो उसने कुछ आश्चर्य मिश्रित भाव के साथ मुझे देखा क्यूंकि हम एक
दूसरे को जानते तक नहीं थे, फिर उसके चेहरे पर एक बहुत
ही प्यारी सी मुस्कान आई. उसने अपने 10 रूपये
निकाल कर काउंटर पर रखे. हालाँकि मैंने उसे वो 10 रूपये देने को नहीं कहा था फिर भी मैंने इससे मना नहीं किया क्यूंकि इसमें
उसकी खुद्दारी झलकती थी. वो प्यार और कृतज्ञता से मुस्कुराया, एक प्यारा सा थैंक-यू कहा और कलरिंग बुक लेकर चला गया. मुझे
एक अनमोल तोहफा मिला था- किसी बच्चे के निश्छल प्यार, संतुष्टि, कृतज्ञता से भरी एक प्यारी
सी मुस्कान का. मैं सोचने को विवश हो गयी- क्या 10 रुपये भी किसी की ज़िन्दगी में इतना मायने रखते हैं???
आपके एक दसटकिया ने किसी मासूम चेहरे पर लखटकिया मुस्कान ला दी।
ReplyDeleteइस बात की गहराई को कोई दिल वाला ही समझ सकता है।
बहुत ही भावपूर्ण प्करण!
🙏🙏
आपके एक दसटकिया ने किसी मासूम चेहरे पर लखटकिया मुस्कान ला दी।
ReplyDeleteइस बात की गहराई को कोई दिल वाला ही समझ सकता है।
बहुत ही भावपूर्ण लघुकथा!
🙏🙏